मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर किया आग्रह

  • आरटीआई कार्यकर्ताओं एवं व्हिसलब्लोअर्स की सुरक्षा के लिए सूचना प्रदाता संरक्षण अधिनियम, 2011 के तहत नियम शीघ्र अधिसूचित करे केन्द्र
जयपुर, 25 दिसम्बर। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर सूचना प्रदाता संरक्षण अधिनियम, 2011 के तहत नियम बनाकर जल्द ही अधिसूचित करने का आग्रह किया है, ताकि राज्य सरकारों द्वारा उसके अनुरूप प्रावधान कर भ्रष्टाचार एवं अव्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे आरटीआई कार्यकर्ताओं और व्हिसलब्लोअर्स की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
श्री गहलोत ने अपने पत्र में लिखा कि पारदर्शिता बढ़ाने एवं भ्रष्टाचार कम करने के लिए अनूठी पहल करते हुए भारत सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 लागू किया था। इस कानून का मार्ग प्रशस्त करने में राजस्थान का भी विशेष योगदान रहा है। राजस्थान देश के उन शुरूआती में से है जिसने सूचना का अधिकार अपने नागरिकों को पहले से ही दे रखा था। आरटीआई कानून के माध्यम से देश भर में भ्रष्टाचार एवं अव्यवस्था के खिलाफ काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाया गया है। देश भर में इस कानून की मदद से आरटीआई कार्यकर्ता एवं व्हिसलब्लोअर्स तमाम खतरे उठाते हुए व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी एवं जवाबदेह बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। पिछले कुछ समय से इनकी आवाज दबाने के लिए हिंसा का सहारा लिया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि सूचना प्रदाता संरक्षण अधिनियम, 2011 लोकसभा द्वारा 28 दिसम्बर, 2011 को पारित किया गया। 21 फरवरी, 2014 को इसे राज्यसभा द्वारा पारित किया गया। 9 मई, 2014 को राष्ट्रपति महोदय द्वारा इस बिल पर सहमति दे दी गई थी। अधिनियम की धारा 25 में केन्द्र सरकार को नियम बनाने की शक्तियां दी गई हैं, लेकिन 7 वर्ष से अधिक समय बीतने के बावजूद केन्द्र सरकार द्वारा अभी तक नियम बनाकर अधिसूचित नहीं किए गए हैं। ऎसे में, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले आरटीआई कार्यकर्ताओं और व्हिसलब्लोअर्स पर हो रहे अत्याचारों को रोकने का मैकेनिज्म विकसित नहीं किया जा सका है।
श्री गहलोत ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि केन्द्र सरकार द्वारा देश भर के आरटीआई कार्यकर्ताओं, व्हिसलब्लोअर्स, सामाजिक कार्यकताओं और सिविल सोसाइटी के संरक्षण के लिए जल्द से जल्द उक्त अधिनियम के प्रावधानों के तहत नियम बनाए जाएं ताकि व्हिसलब्लोअर्स को संरक्षण मिल सके और दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई हो सके।
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