बाङमेर धीरा ग्राम सेवा सहकारी समिति मे तत्कालीन व्यवस्थापक द्वारा फर्जी ऋण एव किसानो के फसल बीमा क्लेम में फर्जीवाङा किये जाने की जांच राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 55 के तहत जांच शुरू कर दी। हालांकि जांच समिति के सदस्यों ने इस संबंध में किसी प्रकार का ब्यौरा देने से इंकार किया है, लेकिन जांच में तमाम वित्तीय अनियमिताएं सामने आयी है या नही यह जांच के बाद खुलासा होगा । हालांकि धीरा ग्राम सेवा सहकारी समिति में हुए ऋण वितरण एव फसल बीमा क्लेम की जांच के लिए नियुक्त जांच अधिकारी जितेन्द्र कुमार सचिव बालोतरा प्राथमिक सहकारी भुमि विकास बैक ने जेठाराम (तत्कालीन व्यवस्थापक धीरा ) सुपरवाईजर केन्द्रीय सहकारी बैक सिवाना, नाथाराम शाखा प्रबंधक केन्द्रीय सहकारी बैक शाखा सिवाना को नोटिस जारी कर उक्त प्रकरण की विभाग द्वारा की गई प्राथमिक जांच रिपोर्ट जांच पत्र के साथ संलग्न भेज कर निर्देशित के साथ-साथ जांच रिपोर्ट में अंकित किसानों की सूची एवं तथ्यों के संदर्भ अभिकथन मय दस्तावेंज प्रारंभिक पहलुओं पर अपना ध्यान लगाया है। जांच अधिकारी ने नोटिस के माध्यम से धीरा ग्राम सेवा सहकारी समिति सम्बधित कुछ जरूरी कागजात भी खंगाले। हालांकि जांच करने वाले जांच अधिकारी ने इस संबंध में किसी भी प्रकार का ब्यौरा देने से इंकार किया, लेकिन सूत्रों के मुताबिक उन्होंने जांच से पहले ऋण वितरण, फसल बीमा क्लेम की जानकारियां जुटाने के लिए तमाम आवश्यक कागजात की जांच शूरू की है। बताते चलें कि विधानसभा सदन 15 व सत्र 6 के दौरान सिवाना विधायक हमीरसिंह भायल ने भी विधानसभा मे अतारांकित प्रश्न के माध्यम से सहकारी समिति धीरा में तत्कालीन व्यवस्थापक द्वारा गबन/घोटाला किया गया है? यदि हां तो उक्त व्यवस्थापक के खिलाफ कार्यवाही की गई? यदि नही, तो क्यों? विवरण सदन की मेज पर रखनें की मांग की है। इधर, धीरा सहकारी समिति से जुड़े किसानों ने जांच के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है, जांच की यह प्रक्रिया दोषी लोगों को बचाने की कवायद ज्यादा प्रतीत हो रही है। उनका कहना है, ऋण वितरण, फसल बीमा क्लेम अनियमितताओं के इस गंभीर मामले में सबसे पहले निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। इसके लिए बाड़मेर जिले के सहकारिता विभाग से जुड़े अधिकारियों के बजाए अतिरिक्त रजिस्ट्रार सहकारी समितियां जोधपुर खण्ड दवारा किसी अन्य ईमानदार उप रजिस्ट्रार से धीरा सहकारी समिति के पिछले तत्कालीन व्यवस्थापक के पांच साल की आडिट करानें के साथ-साथ ऋण पर्यवेक्षक पद पर पदोन्नती के समय से सिवाना शाखा से अन्यत्र तबादला करानें की मांग दोहराई है………….क्रमश:।