
नई दिल्ली I 4 जून I केंद्र ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को अपने मुख्य व्यवसाय से विविधता लाने और कई नई गतिविधियां और सेवाएं शुरू करने में सक्षम बनाने के लिए मॉडल उपनियम तैयार किए हैं। केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में सहकारिता के 100वें अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इन मॉडल उपनियमों को राज्यों की राय जानने के लिए भेजा गया है। उन्होंने कहा कि मॉडल बायलॉज का उद्देश्य कृषि ऋण समितियों को बहुउद्देशीय और बहुआयामी बनाना है। सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरकार एक सहकारिता विश्वविद्यालय स्थापित करने और सहकारी समितियों का डेटाबेस विकसित करने पर भी काम कर रही है। उन्होंने बताया कि हाल ही में सरकार ने दो हजार पांच सौ करोड़ रुपये से अधिक के बजट परिव्यय के साथ 63 हजार कार्यात्मक कृषि ऋण समितियों को कम्यूटर प्रणाली से युक्त बनाने का निर्णय लिया है जिससे सहकारी क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा।
श्री शाह ने कहा कि भारत में सहकारी समितियों ने पिछले सौ वर्षों में उल्लेखनीय काम किया है। आज नई दिल्ली में सहकारिता के सौंवें अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री शाह ने सभी सहकारी समितियों से आगामी सौ वर्षों में और भी बेहतर काम करने का संकल्प लेने को कहा। उन्होंने कहा कि चुनौतियों के बावजूद राष्ट्र में सहकारिता आंदोलन मजबूत से मजबूत होता गया।
इस अवसर पर बोलते हुए, केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि बचत सहकारिता का मूल है और इस क्षेत्र को विकसित करते समय इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए। सहकारिता राज्य मंत्री बी एल वर्मा ने इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार के उपायों को गिनाया।
इस कार्यक्रम का आयोजन सहकारिता मंत्रालय और राष्ट्रीय सहकारी संघ द्वारा किया जा रहा है। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस का विषय है- “सहकारिता की आत्मनिर्भर भारत और  बेहतर विश्व के निर्माण में भूमिका।

 
								

 
                                             
                                             
                                            