पाँच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने में सहकारिता मंत्रालय और सहकारिता आंदोलन की बहुत बड़ी भूमिका होगी

  • PACS को डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक के साथ,डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंकों को स्टेट कोऑपरेटिव बैंकों के साथ और स्टेट कोऑपरेटिव बैंकों को नाबार्ड (NABARD)से जोड़ा जाएगा और नाबार्ड से लेकर लेकर गाँव तक एक पूरी पारदर्शी एग्रीकल्चर फाइनेंस की व्यवस्था बनायी जाएगी
  • अगर देश के आधे गाँवों में पैक्स स्थापित होते हैं और वे पारदर्शी तरीक़े से चलते हैं तो इस देश के अर्थतंत्र को बहुत अधिक गति मिलेगी और देश के किसानों और ख़ासकर ग़रीब किसानों को अपनी उपज का सीधा फ़ायदा मिलेगा
  • बहुत सारे विभागों में सहकारिता की बहुत सारी योजना पड़ी हुई थीं,आज तक उनका कोई मालिक नहीं था लेकिन अब सहकारिता मंत्रालय के माध्यम से 23 विभागों में सहकारिता से जुड़ी अनेक योजनाएँ निचले स्तर तक पहुँच रही हैं

नई दिल्ली 20-12-2021 I केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा है कि कोऑपरेटिव सेक्टर में रोजगार (Employment) और विकास की कई संभावनाएं हैं. इसमें में कॅरियर के लिए पोटेंशियल के साथ ही आत्मसंतोष भी है. शाह ने कहा कि आने वाले दिनों में भारत के पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने में सहकारिता मंत्रालय और सहकारिता आंदोलन की बहुत बड़ी भूमिका होगी. उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र (Co-operative sector) में अमूल जैसी सहकारी संस्था देश की 36 लाख बहनों से सुबह शाम दूध एकत्र कर हर साल 52,000 करोड़ रुपये वितरित करती है. देश की अनेक सहकारी संस्थाओं ने सफलता की अनेक नई गाथाएं रची हैं. अमूल के अलावा इफको, कृभको और लिज्जत पापड़ देश की प्रतिष्ठित सहकारी संस्थाएं हैं.
शाह अपनी महाराष्ट्र यात्रा के दूसरे दिन रविवार को पुणे में वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंध संस्थान (VAMNICOM), पुणे के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि आज जब देश दुनिया के सामने आत्मनिर्भर बन कर खड़ा रहना चाहता है तो ऐसे में सहकारिता क्षेत्र की बहुत अधिक प्रासंगिकता है. आत्मनिर्भर का मतलब देश की सभी आवश्यकताओं का देश में ही उत्पादन करने के साथ ही देश के 130 करोड़ लोगों को अपना जीवन यापन करने के लिए आत्मनिर्भर बनाना भी है. इसके लिए सहकारिता के अलावा और कोई क्षेत्र नहीं हो सकता.

कोऑपरेटिव को हर गांव तक पहुंचाएगी नई नीति

शाह ने कहा कि भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय ने तय किया है कि अमूल के साथ मिलकर ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) करने वाले किसानों को उसके खेत और उत्पाद के लिए विश्व स्तर पर वैध प्रमाण पत्र देने के साथ ही एक बहुत बड़ी मार्किट चेन बनाने की भी व्यवस्था हो. ताकि किसानों को उनके उत्पाद का और ज्यादा दाम मिल सके और वे उनका निर्यात भी कर सकें. हमने सहकारिता क्षेत्र को बढ़ाने का फैसला लिया है. अगले 25 साल के लिए एक ऐसी सहकारिता नीति बनानी होगी जिसको लागू किया जा सके. हम एक नई सहकारिता नीति पेश करेंगे जो देश के अंदर कोऑपरेटिव को हर गांव तक पहुंचाएगी.

कंप्यूटराइज्ड होंगे पैक्स

शाह ने कहा कि कई कारणों से सहकारिता क्षेत्र धीरे-धीरे कमजोर होता जा रहा था, लेकिन अब हमें इस क्षेत्र को फिर से मजबूत कर उसे देश की जीडीपी (GDP) में सबसे बड़ा कंट्रीब्यूटर बनाना है. इसके लिए आप सभी को सहकारिता के क्षेत्र में मन लगाकर काम करना होगा. इस क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं. हम मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव एक्ट को संशोधित कर उसमें जो भी कमियां हैं उन्हें दूर करेंगे. साथ ही प्राइमरी एग्रीकल्चर सोसायटी (PACS) जो कि सहकारिता क्षेत्र की आत्मा है, उनका कंप्यूटरीकरण किया जाएगा.

पारदर्शी एग्रीकल्चर फाइनेंस की व्यवस्था होगी

पैक्स को डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक के साथ, डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंकों को स्टेट कोऑपरेटिव बैंकों के साथ और स्टेट कोऑपरेटिव बैंकों को नाबार्ड (NABARD) से जोड़ा जाएगा. नाबार्ड से लेकर लेकर गांव तक एक पूरी पारदर्शी एग्रीकल्चर फाइनेंस की व्यवस्था बनाई जाएगी. अगर इस देश के आधे गांवों में पैक्स स्थापित होते हैं और वे पारदर्शी तरीके से चलते हैं तो इस देश के अर्थतंत्र को बहुत अधिक गति मिलेगी. देश के किसानों और खासकर गरीब किसानों को अपनी उपज का सीधा फायदा मिलेगा.

निचले स्तर तक पहुंच रही हैं सहकारी योजनाएं

शाह ने कहा कि बहुत सारे विभागों में सहकारिता की बहुत सारी योजना पड़ी हुई थीं. आज तक उनका कोई मालिक नहीं था, लेकिन अब सहकारिता मंत्रालय के माध्यम से 23 विभागों में सहकारिता से जुड़ी अनेक योजनाएं निचले स्तर तक पहुंच रही हैं. उन्होंने कहा कि आज देश में प्राकृतिक खेती के रूप में एक बहुत बड़ा बदलाव आ रहा है. आज हर कोई चाहता है कि वह आर्गेनिक उत्पाद खाए. बहुत सारे किसानों ने ऑर्गेनिक खेती को अपनाया है, लेकिन उन्हें अपने उत्पाद के सही दाम नहीं मिल पाते हैं, क्योंकि भूमि और उत्पादों के सर्टिफिकेशन और मार्केटिंग की व्यवस्था नहीं है.

सहकारिता विश्वविद्यालय बनेगा

अमित शाह ने कहा कि जल्दी ही एक सहकारिता विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी, जिससे देश भर के अनेक राज्यों के कॉलेज संबद्ध होंगे. यह एक नेशनल यूनिवर्सिटी होगी जो राज्यों के कॉलेजों को संबद्ध कर सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करेंगी. सहकारिता शिक्षण संस्थाओं में इस तरीके की व्यवस्था होनी चाहिए, जिसमें सब छात्रों का प्लेसमेंट होने के बाद ही डिग्री दी जानी चाहिए.

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