नागौर 23 अगस्त 2021 । प्रदेश में गांव व ढाणियों के सुदूर इलाकों में कार्यरत 7000 पैक्स/लेम्प्स में कार्य करनें वालें पैक्स/लेम्प्स कर्मी न घर के न घाट के बनें हुए है । इन पैक्स/लेम्प्स में कार्यरत कर्मियों का कोई धणी धोरी नहीं है ।
वर्तमान परिवेश में पैक्स/लेम्प्स कर्मियों की यह स्थिति है कि कार्यरत कर्मी पिछले 2 वर्षों से बिना वेतन के सहकारिता विभाग की जनकल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ केन्द्रीय सहकारी बैंकों के कार्य कर रहे लेकिन जब इन कर्मियों के वेतन की बात आती हैं तो बैक व विभाग द्वारा यह कहा जाता हैं कि आपका वेतन समिति से ले लो । लेकिन पैक्स/लेम्प्स के सम्पूर्ण वित्तिय कारोबार पर केन्द्रीय सहकारी बैंकों द्वारा कुण्डली मार कर रात-दिन विभागिय कार्य पैक्स/लेम्प्स कर्मियों से सम्पादित करवाया जा रहा है ।
सरकार किसी भी प्रकार की योजना से यदि सहकारी समिति को लाभान्वित करती है तो उस पर बैंक द्वारा कुण्डली मार ली जाती है एवं जो पैक्स/लेम्प्स का लाभ होता है उसे बैंक द्वारा अपनी सी.आर.आर. को बचाने के चक्कर में पैक्स/लेम्प्स के ब्याज अनुदान व समिति के सदस्यों की हिस्सा राशी पर देय लाभांश को भी कागजों में उलझनों के साथ-साथ ऋण वसूली का प्रतिशत कम आंकलन कर पैक्स/लेम्प्स पर एरियर ब्याज लगा कर पैक्स/लेम्प्स के वित्तिय कारोबार को कमजोर करनें की पूरजोर कोशिश की जाती है।
प्रदेश में अल्पकालीन फसली ऋण पंजीकरण वर्ष 2019 से शुरुआत होने के बाद से अब तक किसी भी कृषक के खातों में हिस्सा कटौती, प्रधानमंत्री फसल बीमा, सहकार दुर्घटना बीमा व जीवन सुरक्षा बीमा की पासबुक में एंट्री नहीं दर्शाई जाती हैं जिससे किसानों को पैक्स/लेम्प्स कर्मियों के प्रति शंका होती हैं । एफ.आई.जी के माध्यम से पैक्स/लेम्प्स के समस्त कार्य पर बैंक ने अपना डेरा डाल दिया है तो प्रदेश के पैक्स/लेम्प्स में कार्यरत कर्मियों के वेतन की व्यवस्था भी बैंक को ही करनी चाहिए ।
बलदेवाराम
संगठन कोषाध्यक्ष नागौर